Tulsidas Jayanti 2023: तुलसीदास जी द्वारा रामचरितमानस की रचना और महत्व।

Tulsidas Jayanti  2023
Tulsidas Jayanti 2023

Tulsidas Jayanti 2023 प्रस्तावना।

हिन्दू धर्म और भारत के साहित्य में गोस्वामी तुलसीदास जी का योगदान अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। इन्होने प्रभु भक्ति पर बहुत से काव्य ग्रन्थ लिखे हैं। जिनमे प्रभु के प्रति अपनी भक्ति, प्यार और समर्पण को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से दर्शाया गया है। परन्तु Tulsidas Jayanti 2023 के इस अवसर पर हम इनके द्वारा लिखे अद्वितीय और अमूल्य ग्रंथ “रामचरितमानस” पर बात करेंगे, जिस के माध्यम से इन्होने भक्ति, ज्ञान और नैतिकता के संदेश को घर घर पहुंचाया और हिन्दू धर्म, साहित्य और सांस्कृतिक विकास को नयी दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

तो आइये पहले हम Tulsidas Jayanti 2023 के इस अवसर पर तुलसीदास जी के बारे में संक्षेप में जान लेते है।

तुलसीदास जी कौन थे | Tulsidas Jayanti 2023

भारतीय संस्कृति के एक महान कवि और संत थे तुलसीदास जी। जिन्हे मुख्यता हनुमान चालीसा और रामचरितमानस के रचयिता के रूप में जाना जाता है। परन्तु इसके इलावा भी इनकी बहुत सी रचनाएँ हैं, जो भक्तों के लिए एक सौगात है। और जिन्होंने हिन्दू धर्म और साहित्य को और भी समृद्ध किया है।

प्रभु श्री राम के प्रति इनकी भक्ति भी इनकी एक महत्वपूर्ण पहचान है। इन्होने अपना ज्यादातर जीवन प्रभु राम की भक्ति और स्तुति में बिताया था। तुलसीदास जी ने ऋषि बाल्मीकि द्वारा लिखी रामायण का मैथिलि भाषा में वर्णन किया था। गद्यों में लिखी इस रचना को पढ़ना और समझना इतना आसान था कि इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म के सबसे प्रिये और पूजनीय ग्रंथों में जगह मिली। यह भी माना जाता है की तुलसीदास जी ऋषि बाल्मीकि के ही अवतार थे।

तुलसीदास जी प्रभु श्री हनुमान जी के भी बहुत बड़े उपासक थे और माना जाता है कि प्रभु हनुमान को समर्पित प्रसिद्ध संकटमोचन मंदिर की स्थापना तुलसीदास जी ने की थी। यह भी एक लोकप्रिय धारणा है कि रामचरितमानस की रचना करते समय भगवान हनुमान ने संत तुलसीदास की मदद की थी।

Read Now: Jaane Kyon Manayi Jaati Hai Guru Purnima

रामचरितमानस की रचना और महत्व |Tulsidas Jayanti 2023

तुलसीदास जी ने भगवान राम की महिमा, आदर्शों, और उनकी भक्ति को व्यक्त करने के लिए “रामचरितमानस” की रचना की। इस महाकाव्य को पढ़ने से हमें अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं को जानने और उन्हें पहचानने की समझ मिलती है। हमें पता चलता है कि हमारे धार्मिक, नैतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक कर्त्तव्य क्या हैं। और फिर उन पर चल कर हम कैसे अपने जीवन को सफल और सुन्दर बना सकते हैं।

राम जपु राम जपु राम जपु बावरे
घोर भाव नीर निधि नाम निज नाव रे
।।

“रामचरितमानस” ग्रंथ में तुलसीदास जी ने बताया है की भगवान राम की भक्ति का मार्ग ही सबसे उपयुक्त मार्ग है। उन्होंने इस ग्रन्थ के छंदो के माध्यम से भक्तों को अपने प्रभु के प्रति अपनी अद्वितीय भावनाओं को व्यक्त करने और उनके आदर्शों का अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया है।

ब्रह्म तू, हौं जीव, तू है ठाकुर, हौं चेरो
तात-मात, गुरु-सखा, तू सब बिधि हितु मेरो।
तोहिं मोहिं नाते अनेक, मानियै जो भावै
ज्यों त्यों तुलसी कृपालु! चरन-सरन पावै।।

विनय-पत्रिका

अर्थात ” तू ब्रह्म है ,मैं जीव हूं।तू स्वामी है ,मैं सेवक हूं।अधिक क्या,मेरा तो माता,पिता,गुरु,मित्र और सब प्रकार से हितकारी तू ही है। मेरे-तेरे अनेक नाते हैं;नाता तुझे जो अच्छा लगे,वही मान ले। परन्तु बात यह है कि कृपालु! किसी भी तरह यह तुलसीदास तेरे चरणों की शरण पा जावे।”

तुलसीदास जी ने “रामचरितमानस” के माध्यम से प्रेम की अनेकों उदाहरण दे कर हमें बताया है कि भगवान राम के प्रति प्रेम के बिना हमारा जीवन अधूरा है। जैसे कि हनुमान जी का अपने श्रीराम के प्रति प्रेम, जो उन्होंने लंका दहन में “लखि लखि मोरि लागि रहियो” छंद में दर्शाया है। इस प्रेम ने हनुमान जी को विशाल समुद्र को पार करने की शक्ति प्रदान की और उन्हें अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उत्साहित किया।

तुलसीदास जी ने “रामचरितमानस” में बाल कांड में मीरा के छंद “माई री, मैं री मैं री, तो प्रेम देवी” में बताया है कि सच्ची भक्ति अपने आप को पूर्णतः भगवन को समर्पित कर देने हैं।

धार्मिक शिक्षा का स्रोत:

“रामचरितमानस” हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है जिसमें श्रीराम प्रभु के आदर्श जीवन को दर्शाया गया है। उनका जीवन हमारे सामने यह उदाहरण प्रस्तुत करता है की स्थिति या परिस्थिति कैसी भी क्यों ना हो, यदि हम अपने धर्म और कर्म से पीछे नहीं हटते तो हम कभी असफल नहीं हो सकते। यह महान ग्रन्थ हमें धर्मिक मूल्यों, नैतिकता, कर्म की महत्वपूर्णता आदि के बारे में सिखाता है।

भाषा की सुंदरता:

तुलसीदास जी ने “रामचरितमानस” को अपनी मानसी प्रेम और उत्कृष्ट भाषा में लिखा है। इसकी सुंदर शैली, गीतों और दोहों की साहित्यिकता हमें आकर्षित करती है और हमें भाषा की महत्वपूर्णता को समझने में मदद करती है।

आध्यात्मिक उन्नति:

इस महाकाव्य को पढ़ने से हमारी आध्यात्मिक उन्नति होती है। प्रभु राम के जीवन से हमें आत्म-समर्पण, ध्यान, सहानुभूति आदि के महत्व का ज्ञान होता है, जिसे अपना कर हम आत्मशांति की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील हो सकते हैं।

तुलसीदास जी की रचनाओं का महत्व | Tulsidas Jayanti 2023

तुलसीदास जी हर रचना हमें भारतीय संस्कृति और धार्मिकता की गहराईयों तक ले जाती है और हमें आदर्श जीवन तथा नैतिकता की महत्वपूर्ण शिक्षा प्रदान करती हैं। उनका संदेश हमें प्रेम, सहयोग, धैर्य और समर्पण के महत्व की ओर प्रेरित करता है।

तुलसीदास जी की रचनाएँ आज भी हमारे समाज में उनकी महत्वपूर्णता बनी हुई हैं, जितनी उनके समय में थीं। इनके संदेश हमें आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं। भगवान के प्रति उनकी अद्वितीय भक्ति और समर्पण की भावना हमें आत्म-परमात्मा के संबंध की महत्वपूर्णता के बारे में सिखाती है।

तुलसीदास जी की रचनाएँ कौन-कौन सी हैं | Tulsidas Jayanti 2023

तुलसीदास जी कि हर रचना प्रभु भक्ति में लीं कर देने वाली है। इनमे से कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ हैं:

हनुमान चालीसा:

हनुमान चालीसा तुलसीदास जी की सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है। जिनमे उन्होंने हनुमान जी की अद्वितीय महिमा, शक्तियों और गुणों की प्रशंसा करते हुए अपने समर्पण की बात कही है। इसमें 40 चौपाईयाँ हैं, जिनमें संत तुलसीदास जी ने हनुमान जी के अद्वितीय गुणों और उनके अदूरीय कार्यों को स्तोत्र के माध्यम से व्यक्त किया है।

हनुमान चालीसा में हर एक चौपाई एक विशेष संदेश प्रस्तुत करती है, जो हमें उनके विविध रूपों, शक्तियों और उनके भक्तों के प्रति उनके विशेष संवाद को समझने में मदद करती हैं। इस उत्कृष्ट स्तोत्र के माध्यम से हम हनुमान जी के अनुष्ठान और प्रेम की महत्वपूर्णता को जानते हैं और उनके आदर्शों का पालन करके अपने जीवन को सफलता और आनंद से भर सकते हैं।

विनय पत्रिका:

यह रचना एक अद्भुत और आदर्शनीय भक्ति भावना का प्रतीक है, जिसमें संत तुलसीदास जी ने भगवान के प्रति अपने अत्यंत श्रद्धा और प्रेम को अद्वितीय तरीके से व्यक्त किया है। इस रचना में उन्होंने अपने मन की गहराइयों से ब्रह्मांड के संसार को छूने वाले भावनाओं को प्रकट किया है, जो हमें आदर्श जीवन की दिशा में प्रेरित करते हैं।

इस विनय पत्रिका में संत तुलसीदास जी ने भगवान के प्रति अपनी अनन्य प्रेम और विश्वास की महत्वपूर्ण व्यक्तिगत अनुभूतियों को साझा किया है। तुलसीदास जी ने अपने शब्दों में हमें यह सिखाया है कि अगर हम विनम्रता और सहिष्णुता के साथ जीवन जीते हैं, तो हम भगवान के प्रति अपनी समर्पित भावना को सही दिशा में व्यक्त कर सकते हैं।

इस विनय पत्रिका के माध्यम से हमें यह भी सिखने को मिलता है कि आदर्श भक्ति क्या होती है और व्यक्तिगत जीवन में उसका क्या महत्व होता है।

दोहावली:

इस रचना में तुलसीदास जी ने अपनी अद्भुत भक्ति भावना और ज्ञान को छोटे-छोटे पद्यों में दोहों की रूपरेखा में प्रस्तुत किया है। प्रत्येक दोहा एक विशिष्ट संदेश देता है, जो हमें जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

ये दोहे विनम्रता, सद्गुण, सहिष्णुता, और सत्य के महत्व को दर्शाते हैं। इनके माध्यम से, हमें यह सिखने को मिलता है कि सच्चे आत्म-प्रेम और समर्पण के बिना, आदर्श जीवन की प्राप्ति संभव नहीं है।

“दोहावली” एक ऐसी रचना है जो हमें आदर्श जीवन के मूल सिद्धांतों, सद्गुणों और आध्यात्मिकता के महत्व को समझने में मदद करती है।

कवितावली:

कवितावली तुलसीदास जी की अद्वितीय भक्ति और प्रेम भावना की मनमोहक कविताओं का संग्रह है। इसमें वे भगवान के प्रति अपनी गहरी और अनुभूत भक्ति को सजीवता से व्यक्त करते हैं।

कवितावली में हर एक कविता एक अद्वितीय रूपरेखा है, जिसमे तुलसीदास जी की आध्यात्मिक अनुभूतियों की दिलचस्प झलकियों को प्रस्तुत करती है, जैसे कि भगवान के साथ प्रेम की गहराइयों को, उनके लीलाओं को, और आदर्श जीवन के मार्गदर्शन को।

कवितावली न केवल एक काव्य संग्रह है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा की रूपरेखा भी है, जो हमें उनके मन, मनोबल और आदर्श जीवन की दिशा में प्रेरित करती है।

गीतावली:

गीतावली में तुलसीदास जी ने भगवद गीता के अध्यायों को सार रूप से व्याख्या किया है। इसमें भगवद गीता के महत्वपूर्ण अध्यायों को सांक्षिप्त और सरल भाषा में व्याख्या किया है। उन्होंने गीता के शिक्षाओं को अपने अद्वितीय दृष्टिकोण से समझाया है, जिससे यह रचना उनके अद्वितीय धार्मिक सोच और आदर्शों को प्रकट करती है।

गीतावली में प्रत्येक अध्याय को संत तुलसीदास जी ने उनकी स्वयं की अनुभूतियों के साथ जोड़कर प्रस्तुत किया है, जिससे यह रचना उनके भगवद गीता के प्रति अद्वितीय प्रेम और समर्पण को दर्शाती है। उन्होंने धर्म, कर्म, भक्ति, और ज्ञान के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को सरल शब्दों में व्याख्या किया है, जिनसे हमें आदर्श जीवन की दिशा में प्रेरित होने का मौका मिलता है।

पार्वती मंगल:

ये रचना पार्वती जी और महादेव के प्रेम कथा को व्यक्त करती है। इसमें तुलसीदास जी ने पार्वती जी के गुणों और महादेव के प्रति उनके अद्वितीय प्रेम की महत्वपूर्ण घटनाओं को व्यक्त किया है। उन्होंने पार्वती जी की आत्म-समर्पणता, उनके निष्ठा, और महादेव के प्रति उनके अनन्य प्रेम की अद्वितीयता को प्रकट किया है।

इस रचना से हमें यह सीखने को मिलता है कि सच्चे प्रेम और श्रद्धा के बिना जीवन अधूरा होता है।

उत्तर रामचरित:

इस रचना में तुलसीदास जी ने भगवान राम के जीवन की अनगिनत कल्पनिक घटनाएं लिखी हैं। “उत्तर रामचरित” का पूरा नाम “श्रीरामचरितमानस उत्तरकाण्ड” है,

इस रचना में भगवान राम के वनवास के बाद के घटनाक्रम, सीता जी की अग्निपरीक्षण, लव-कुश की उत्पत्ति, और भगवान राम के राज्याभिषेक के प्रसंग में उनके अनगिनत गुणों का वर्णन है।

इनके अलावा भी तुलसीदास जी ने अनेक अन्य रचनाएँ लिखी हैं, जो उनके समय के सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विषयों पर आधारित हैं।

Tulsidas Jayanti 2023 Date | तुलसीदास जयंत 2023 की तारिख

तुलसीदास जयंती महान कवी और संत तुलसीदास की जयंती के रूप में मनाई जाती है। उनकी जयंती को मनाने का मुख्य उद्देश्य उनके काव्य और धार्मिक विचारों को पढ़ना और याद करना होता है।

तुलसीदास जयंती को आमतौर पर भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है, जो किसी भी वर्ष में सितंबर या अक्टूबर महीने के आस-पास आती है।

Tulsidas Jayanti 2023 में 23 अगस्त, दिन बुधवार को है।

What is the date of Tulsidas Jayanti?

23rd August, 2023 (Wednesday)

तुलसीदास जयंती कैसे मनाई जाती है?

तुलसीदास जयंती महान कवी और संत तुलसीदास की जयंती के रूप में मनाई जाती है। उनकी जयंती को मनाने का मुख्य उद्देश्य उनके काव्य और धार्मिक विचारों को पढ़ना और याद करना होता है।

तुलसीदास जयंती को आमतौर पर भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है, जो किसी भी वर्ष में सितंबर या अक्टूबर महीने के आस-पास आती है। इस दिन लोग तुलसीदास जी के उपदेशों और काव्यिक कौशल की महत्वपूर्णता को समझते हैं और उनकी प्रेरणा से जीवन में धर्मिकता और सद्गुणों को अपनाने का प्रयास करते हैं।

तुलसीदास जयंती के दिन, लोग मंदिरों में भगवान राम की पूजा-अर्चना करते हैं और उनके भक्त तुलसीदास जी की भक्ति भावना के गीतों को गाते हैं। इस दिन रामचरितमानस के भजन और कथा भी की जाती है।

When did Tulsidas died?

ज्यादातर विद्वानों के अनुसार गोस्वामी तुलसीदास जी की पुण्यतिथि 30 अगस्त, 1623 है।

Who wrote Hanuman Chalisa first?

हनुमान चालीसा के रचयिता का श्रेय तुलसीदास को दिया जाता है, जो एक महान कवि और संत थे। इनका जन्म 16वीं शताब्दी में हुआ था। उन्होंने भजन के अंतिम श्लोक में अपने नाम का उल्लेख किया है। हनुमान चालीसा की 39वीं चौपाई में कहा गया है कि जो कोई भी हनुमान जी की पूरी श्रद्धा के साथ इसका जाप करेगा, उस पर हनुमान जी की कृपा बनी रहेगी।

How many years ago Tulsidas wrote Hanuman Chalisa?

हिन्दू विद्वानों के अनुसार तुलसीदास जी ने लगभग 400 साल पहले अर्थात 16वी शताब्दी में लिखी गयी थी।

तुलसीदास की मुख्य शिक्षा क्या है?

तुलसीदास की मुख्य शिक्षा प्रभु के प्रति सच्ची और अटूट श्रद्धा रखना है। वो अपने हर काव्य ग्रन्थ में अपने आप को भगवान् के गुणगान करते हैं और उनकी भक्ति में ही अपने आप को समर्पित कर देने की शिक्षा देते हैं।

तुसलीदास जी के जीवन पर आधारित फिल्म:

Conclusion Tulsidas Jayanti 2023

रामचरितमानस तथा दूसरे ग्रंथों में तुलसीदास जी ने प्रभु भक्ति के मार्ग को अपनी अद्वितीय रचना के माध्यम से व्यक्त किया है। और हमें यह सिखाया है कि भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण ही सच्ची भक्ति की आधारशिला होती है।

1 thought on “Tulsidas Jayanti 2023: तुलसीदास जी द्वारा रामचरितमानस की रचना और महत्व।”

Leave a Comment