गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं और जीवन दर्शन | Guru Nanak Dev Ji Teachings And Jivan Darshan In Hindi

Guru Nanak Dev Ji Teachings: गुरु नानक देव जी, एक महान आध्यात्मिक गुरु, दार्शनिक, और समाज सुधारक थे। इन्होने अपने आदर्शों के माध्यम से समाज में फैले अंधविश्वास और कुरीतियों को दूर करने का काम किया है। इन्होने सिख धर्म की नींव राखी और आप सिखों के पहले गुरु हैं। इनकी अनगिनत शिक्षाएं हमें एक आदर्श जीवन जीने की राह दिखातीं हैं। इस लेख में, हम गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं के महत्व को समझने का प्रयास करेंगे।

गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं और जीवन दर्शन | Guru Nanak Dev Ji Teachings And Jivan Darshan In Hindi
Guru Nanak Dev Ji Teachings And Jivan Darshan In Hindi

गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं | Guru Nanak Dev Ji Teachings

गुरु नानक देव जी की अनेको शिक्षाएं हैं, जो श्री ग्रन्थ साहिब में दर्ज़ शब्दों में पढ़ीं जा सकती हैं। गुरु साहिबान ने हमेशा भक्ति से सबसे प्रमुख बताया है। उनके अनुसार, जो जीवन सदा भक्ति में लीं रहता है, वो जीवन हमेशा दुःख, तकलीफों, अशांति इत्यादि से दूर रहता है। गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का वर्णन इस प्रकार है।

गुरु नानक देव जी की प्रमुख शिक्षाएं | Guru Nanak Dev Ji Teachings

गुरु नानक देव जी की सबसे प्रमुख तीन शिक्षाएँ हैं:

  • कीरत करो (Work Hard And Honestly)
  • वंड छको (Share With The Needy)
  • नाम जपो (Always Remember God)

कीरत करो (Work Hard And Honestly) | Guru Nanak Dev Ji Teachings

हमेशा ईमानदारी से जीना और मेहनत करके जीवन जीना। जीवन में ना किसी के साथ कोई दुश्मनी रखना, ना किसी के साथ बेईमानी करना। और ईमानदारी से जीये गए जीवन पर हमेशा भगवान् कि छाँव रहती है। और जीवन में संतुष्टि भी रहती है।

वंड छको (Share With The Needy) | Guru Nanak Dev Ji Teachings

वंड छको का अर्थ है कि दूसरों के साथ साँझा करना और उनकी मदद करना जिन्हे जरूरत है। गुरु महाराज कि इस शिक्षा से हमें आपस में मिल-जुल कर, एक दूसरे का सहयोग करने का सन्देश मिलता है। इस से आपसी भाईचारा बढ़ता है, प्यार बढ़ता है और सबका भला होता है।

नाम जपो (Always Remember God) | Guru Nanak Dev Ji Teachings

हर समय भगवान् के नाम का सिमरन करने वाले जीवन में ना किसी का डर होता है, उसकी ना किसी से दुश्मनी होती है। ना कभी उसके मन में हकार आता है, और ना ही उसके जीवन में बेईमानी आती है। जो व्यक्ति हर समय सिमरन करता है, वो अपनी हर कमज़ोरी पर काबू पा लेता है।

गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं और जीवन दर्शन | Guru Nanak Dev Ji Teachings And Jivan Darshan In Hindi
Guru Nanak Dev Ji Teachings

8 More Very Important Guru Nanak Dev Ji Teachings

  1. इक ओंकार (Ik Onkar) – परमात्मा एक है।
  2. सेवा (Selfless Service) – दूसरों की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहो।
  3. समानता (Equality) – सब को समान भाव से देखो।
  4. औरतों की इज्ज़त करो (Respect Women)
  5. भगवान् सर्वव्यापी है (God is Omnipresent) – भगवान् हर जगह, कण कण में मौजूद है।
  6. दया और करुणा (Kindness and Compassion) – हर किसी के लिए करुणा का भाव रखना।
  7. हर जीवन का एक उद्देश्य होता है जिसे पूरा करना है। (Every Life has a Purpose to Fulfil)
  8. बुराई के खिलाफ खड़े रहें (Stand Against Oppression)

श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में ऐसी और भी अनेको महत्वपूर्ण शिक्षाएँ दर्ज़ हैं। जो ना केवल सिख के लिए, बल्कि अलग अलग समुदाय और धर्मों के लोगों के लिए मरगदर्शक बनी हुई हैं।

जीवन परिचय | Guru Nanak Dev Ji Teachings

गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक के महीने में पड़ने वाली पूरनमासी के दिन, सन 1469 को तलवंडी में हुआ था। तलवंडी का नाम बाद में बदल कर गुरु साहिब जी के नाम पर ननकाना साहिब कर दिया गया था, जो अब पाकिस्तान में पड़ता है। इनके पिता जी का नाम मेहता कालूचंद और माता जी का नाम तृप्ता देवी था। इनकी एक बहन भी थीं, जिनका नाम नानकी था।

इनका विवाह 16 वर्ष की आयु में गुरदासपुर जिले के लाखोंकी गाँव की सुलक्खनी जी से हुआ था। इनके दो बेटे थे, श्रीचाँद जी और लख्मीदास जी। सन 1507 में गुरु साहिब अपना घरवार छोड़ कर तीरथ स्थलों की यात्रा पर निकल गए।

जीवन दर्शन | Guru Nanak Dev Ji Teachings | History Of Guru Nanak Dev Ji

वो ऐसा समय था जब शाशक प्रजा पर अत्याचार कर रहे थे। अज्ञानता का अँधेरा चारों ओर फैला हुआ था। धर्म के नाम पर कर्म काण्ड हो रहे थे। समाज जातपात, ऊंच-नीच में बंटा हुआ था। ऐसे समय में एक ऐसे रहबर की जरूरत थी, जो पूरी मानवता का कल्याण कर सके। ओर तभी जन्म होता है प्रथम पिता परमेश्वर, श्री गुरु नानक देव जी का…

बचपन से ही आप का मन परमात्मा की भक्ति में लीन रहने लगा। आप को पंडित के पास पढ़ने के लिए भेजा गया तो आप ने पंडित को ही पढ़ा दिया और उसने आप की सामने हाथ जोड़ दिए।  

एक बार आप के पिता श्री मेहता कालू जी ने आप को बीस रुपए दे कर कोई अच्छा सौदा करने के लिए भेजा। परन्तु आप भूखे साधुओं को भोजन करवा आये। आप के पिता नाराज़ हुए तो आप ने कहा कि किसी की भूख मिटाना अच्छा ही नहीं बल्कि एक सच्चा सौदा है। वो जगह जहाँ आप ने भूखे साधुओं को भोजन करवाया था, उस जगह पर आज गुरुद्वारा सच्चा सौदा साहिब स्थापित हैं।  

आप थोड़े बड़े हुए तो आप लोगों की अज्ञानता को दूर करने के लिए घर से निकल पड़े। वो आप ही हैं, जिन्होंने लोगों के दिलों में ज्ञान का नया दीपक जगाया। उन्हें सच्चा मार्ग दिखा कर अधर्म से तोड़ कर धर्म के साथ जोड़ा, और ऊंच-नीच को मिटाने के लिए लंगर जैसी प्रथा चलाई।  

आप एक ऐसी सच्ची रूह हुए हैं, जिन्होंने अपना सारा जीवन मानवता को समर्पित कर दिया। और पुरी दुनिया में नंगे पाओं घूम कर लोगों को ईश्वर संग जोड़ा। और “परमात्मा एक है” का सन्देश दिया। आप की इन्ही यात्राओं को “चार उदासियों” के नाम से जाना जाता है।  

एक बार आप यात्रा करते हुए रावलपिंडी की हसन अब्दाल नामक जगह पर रुके। जहाँ आप ने देखा की वली कंधारी नामक व्यक्ति लोगों से पानी पिलाने के बदले में मोहरें मांग रहा है। आप ने अपनी छड़ी मार कर वहीँ पानी का एक झरना बना दिया और लोगों की प्यास भुझायी। इस बात से गुस्सा हो कर वली कंधारी ने पहाड़ी से आप पर एक बहुत बड़ा पत्थर फिंकवा दिया। परन्तु आप ने एक पंजे से उस पत्थर को रोक कर, वली कंधारी का हकार तोड़ा। गुरुद्वारा “पंजा साहिब” उसी स्थान पर स्थित है।  

एक बार एक बड़े ज़मींदार, मलिक भागो ने आप को अपने घर खाने पर बुलाया। उन्होंने आप के सामने बड़े बड़े भोज रखे, किन्तु आप ने एक ग़रीब बढ़ई, भाई लालो के घर से खाना मंगवा कर खाना शुरू कर दिया। जिसे देख मलिक भागो ने कहा कि “महराज, मैंने आप को इतना स्वादिष्ट और शाही भोजन परोसा है, पर आप एक ग़रीब और छोटी जाती के बढ़ई के घर का भोजन ग्रहण कर रहे हैं।”

तो आप ने एक हाथ में मलिक भागों के परोसे भोजन की रोटी उठायी, और दूसरे हाथ में बढ़ई भाई लालो के घर से आयी रोटी ली। और दोनों रोटियों को हाथों में दबाया। मलिक भागों की रोटी से खून टपकने लगा और भाई लालो की रोटी से दूध। फिर आप ने कहा, “भागो साहिब, आप ने ग़रीब लोगों को सताया है, उनके खून पसीने से अपने लिए रोटी पैदा की है, इसलिए तुम्हारी रोटी से खून टपका। और भाई लालो की रोटी इसकी मेहनत की रोटी है, इसलिए इसकी रोटी से दूध।” यह सुनकर मलिक भागो आप के चरणों में लेट गया।

सुल्तानपुर लोधी में आप एक बेरी के नीचे बैठ कर प्रभु का सिमरन किया करते थे, जो काली बेईं नदी के किनारे पर उगी हुई थी। एक बार आप नदी में नहाने के लिए उतरे और पूरे तीन दिन तक बाहर ना आये। लोगों को लगा आप नदी में डूब गए हैं। परन्तु तीसरे दिन आप नदी से बाहर आये, और कहा, “ना कोई हिन्दू, ना कोई मुसलमान, परमात्मा एक है। यहीं से सिख धर्म अस्तित्व में आया। और आप सिखों के पहले गुरु हुए। आप ने “जपुजी साहिब” के पाठ की रचना की। जिसका जप करके लोग अपने दुःख तकलीफों से निवारण पा लेते हैं।

आप जहाँ भी गए, हर किसी को परमात्मा संग जोड़ते चले गए। और परमात्मा एक है का सन्देश देते गए। इसीलिए आप की शिक्षाओं को पूरी दुनिया में पढ़ा, समझा और उन पर चला जाता है। कहीं आप को नानक पीर कहा जाता है, तो कहीं नानक ऋषि, कहीं कोई आप को वाली हिन्द कहता है, तो कोई नानक शाह फ़कीर….

सारी दुनिया को अध्यात्म का पाठ पढ़ाने के बाद, आप ने अपने शिष्य भाई लेहना जी, जिन्हे हम गुरु अंगद देव जी के नाम से भी जानते हैं, उन्हें अपनी गद्दी दे दी। और खुद करतारपुर साहिब जा कर बस गये। यही वो जगह है, जहाँ आप ज्योति-जोत समाये। कहा जाता है, कि अंतिम समय में आप के स्थान पर केवल फूल ही मिले थे।

यदि हम पूरे समंदर को स्हायी बना लें, और सारी दुनिया के शब्दों को जोड़ लें, तब भी आप की महिमा का गुणगान नहीं किया जा सकता, क्योंकि आप की महिमा अपरम्पार है…..

बाबा गुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएं क्या थी class 7

Guru Nanak Dev Ji Teachings
  1. इक ओंकार (Ik Onkar) – परमात्मा एक है।
  2. सेवा (Selfless Service) – दूसरों की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहो।
  3. समानता (Equality) – सब को समान भाव से देखो।
  4. औरतों की इज्ज़त करो (Respect Women)
  5. भगवान् सर्वव्यापी है (God is Omnipresent) – भगवान् हर जगह, कण कण में मौजूद है।
  6. दया और करुणा (Kindness and Compassion) – हर किसी के लिए करुणा का भाव रखना।
  7. हर जीवन का एक उद्देश्य होता है जिसे पूरा करना है। (Every Life has a Purpose to Fulfil)
  8. बुराई के खिलाफ खड़े रहें (Stand Against Oppression)

श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में ऐसी और भी अनेको महत्वपूर्ण शिक्षाएँ दर्ज़ हैं। जो ना केवल सिख के लिए, बल्कि अलग अलग समुदाय और धर्मों के लोगों के लिए मरगदर्शक बनी हुई हैं।

what were the major teachings of baba guru nanak

गुरु नानक देव जी की सबसे प्रमुख तीन शिक्षाएँ हैं:

  • कीरत करो (Work Hard And Honestly)
  • वंड छको (Share With The Needy)
  • नाम जपो (Always Remember God)

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