Motivational Kahani In Hindi: प्रेरित कहानियां वो होतीं हैं, जो हमारी सोच को, हमारे विचारों को प्रभावित करे, जिन्हें पढ़ कर हमारे अंदर एक नयी ऊर्जा का विकास हो, जो हमारे अंदर आत्मविश्वास जगा दें। ऐसी ही कुछ बेहतरीन Motivational Kahani In Hindi हम प्रस्तुत कर रहे हैं, जो आवश्यक रूप में हमें कुछ अच्छा सीखा कर जाएँगी। आइये इस सफर को शुरू करते हैं:
Motivational Kahani In Hindi # 1
रिटायरमेंट
एक बुजुर्ग कारपेंटर था, जो चालीस सालों से किसी घर बनाने वाली कंपनी के लिए काम कर रहा था। इन चालीस सालों में उसने बड़े सुन्दर और मजबूत घर बनाये थे। एक दिन वो अपने मालिक के पास जा कर कहता है कि, “माफ़ी चाहता हूँ मालिक, मेरी उम्र हो गयी है। इसलिए अब मैं अपने काम से रिटायरमेंट लेना चाहता हूँ।”
सुन कर उसके मालिक को थोड़ा दुःख हुआ। फिर कुछ पल सोचने के बाद वो उस बुजुर्ग से बोला, “क्या जाने से पहले आप मेरे लिए एक आखरी घर बना सकते हैं?”
बुजुर्ग कारपेंटर ना करना चाहता था, पर यह बात वो अपने मालिक से नहीं कह पाया और एक आखरी घर बनाने के लिए मान गया।
बुजुर्ग इस काम को जल्दी से जल्दी पूरा करना चाहता था। इसलिए उसने घर का काम ज्यादा गहराई से नहीं किया। देखने में यह घर अच्छा लग रहा था, पर अंदर से वो इस घर को ज्यादा मजबूती ना दे पाया।
आखिर कुछ ही हफ़्तों में उस घर का काम पूरा करके उसने अपने मालिक को घर देखने के लिए बुलाया। और उन्हें उस घर दी चाबी दे कर विदाई मांगी।
उसके मालिक ने उस से चाबी नहीं ली और कहा कि यह घर मैंने तुम्हारे लिए ही बनवाया है। तुमने सारी ज़िंदगी मेरी कंपनी के लिए मेहनत की है। इसलिए यह घर मेरी और से तुम्हे रिटायरमेंट गिफ्ट है।
सुनकर वो बुजुर्ग कारपेंटर एक दम चौंक गया और अंदर ही अंदर शर्मिंदा भी हुआ।
उसके मन में बस यही बात चल रही थी कि अगर उसे पहले पता होता कि यह वो अपना खुद का घर बना रहा है, तो इस घर को अलग तरीके से बनाता। सारी ज़िन्दगी की समझ इस घर को बनाने में लगा देता। पर अब क्या हो सकता था। घर तो बन चुका था।
यह कहानी हमें सिखाती है कि अपने काम को हमेशा पूरी निष्ठा और ईमानदारी से पूरा करो, भले वो पहला काम हो या आखरी।
Motivational Kahani In Hindi # 2
कांच का मर्तबान
एक बार एक अध्यापक महोदय अपने विद्यार्थियों को “अपनी प्राथमिकताओं को पहचानो” के बारे में समझा रहे थे। उनके सामने कईं वस्तुएं पड़ी हुई थीं। उनमे से अध्यापक ने कांच का एक बड़ा सा मर्तबान उठाया और उसे पत्थरों से भर दिया। फिर अपने विद्यार्थियों से पूछा,
“क्या ये मर्तबान पूरा भरा है?”
सारे विद्यार्थियों ने सहमति में सिर हिलाते हुए कहा, “हाँ जी महोदय, यह मर्तबान पूरा भरा हुआ है।”
फिर अध्यापक ने सामने पड़े छोटे छोटे कंकड़ उठा कर उस मर्तबान में डाले और मर्तबान को थोड़ा सा हिलाया। छोटे छोटे कंकड़, पत्थरों के बीच के स्थान में चले गए। अध्यापक ने फिर से विद्यार्थियों से पूछा,
“क्या यह मर्तबान अब पूरा भरा है?”
सारे विद्यार्थियों ने फिर से सहमति में सिर हिला दिया, “हाँ जी महोदय, अब यह पूरा भरा हुआ है।”
अंत में अध्यापक महोदय ने सामने पड़ी बारीक रेत उठायी और उसे उस मर्तबान में डाला। और फिर जैसे ही मर्तबान को हिलाया, रेत पत्थरों के बीच जो थोड़ा बहुत स्थान पड़ा था, वहां नीचे तक चली गयी। अध्यापक ने फिर से पूछा,
“क्या यह मर्तबान अब पूरा भरा है?”
सुन कर विद्यार्थियों ने हँसते हुए हाँ में सिर हिलाया, “हाँ जी महोदय, अब यह पूरा भरा है।”
फिर अध्यापक महोदय ने कहा, “यह मर्तबान हमारे जीवन को दर्शाता है। यह बड़े पत्थर हमारे जीवन की वो महत्वपूर्ण चीज़ें हैं, जो हमारे लिए सबसे जरूरी हैं। जैसे, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, परिवार और मित्र। यह जो छोटे कंकड़ हैं, यह हमारे जीवन की दूसरी आवश्यक चीजें हैं, जैसे हमारे काम और पढ़ाई। और यह रेत, हमारे जीवन की वो छोटी छोटी चीजें हैं, जो हमें केवल भौतिक सुख देतीं हैं।”
अध्यापक ने आगे कहा, “अब, अगर आप बर्तन को भरने का क्रम उलटा कर दें, अर्थात पहले रेत से भर दें, तो पत्थरों और छोटे कंकड़ों के लिए जार में जगह ही नहीं बचेगी।”
मतलब आप छोटी छोटी चीजों पर बहुत ज्यादा समय बिताते हैं, तो बड़ी चीजों के लिए जीवन में जगह ही नहीं बचेगी। पर अगर हम बड़ी चीजों को महत्व देते हैं, तो छोटी चीजों के लिए हमेशा जगह रहेगी। अब हमने सोचना है, हमने किसको एहमियत देनी है।
Motivational Kahani In Hindi # 3
एक मशहूर दार्शनिक “सोक्रेटस” का त्रिगुण फ़िल्टर परीक्षण
प्राचीन समय कि बात है। ग्रीस के मशहूर दार्शनिक “सोक्रेटस” के पास उनका एक पुराना जानकार मित्र आया। कुछ गपशप साझा करने कि उत्सुकता में जानकार मित्र ने सोक्रेटीज़ से पूछा,
“क्या आप जानना चाहेंगे कि मैंने अभी कुछ दिन पहले अपने एक पुराने दोस्त के बारे में क्या सुना?”
सोक्रेटस ने अपने मित्र से कहा, “अगर तुम मुझे कुछ बताना चाहते हो, तो पहले मेरा “त्रिगुण फ़िल्टर परीक्षण” पास करना पड़ेगा।”
उनके मित्र ने हैरान होते कहा, ‘पूछो, क्या पूछना है। “
सोक्रेट्स ने कहा, तो पहला फ़िल्टर है सत्य। काया तुम्हे पूरा विश्वाश है कि जो भी तुम मुझे बताने जा रहे हो, वो सत्य है?
उनके मित्र ने सोचते हुए कहा, “हम्म, नहीं, मैंने तो बस किसी और से सुना है और…”
सोक्रेटस ने उसकी बात को बीच में काट कर कहा, “मतलब, तुम वास्तव में नहीं जानते कि यह सच है या नहीं। अच्छा अब यह बताओ कि जो भी तुम मुझे हमारे उस दोस्त के बारे में बताने जा रहे हो, क्या वो कोई अच्छी बात है?”
मित्र बोला, “अरे नहीं, यह तो बल्कि इसके उलट है।”
सोक्रेटस ने आगे कहा, मतलब तुम मुझे मेरे किसी दोस्त के बारे में कुछ बुरा बताना चाहते हो। जबकि तुम्हे यह भी नहीं पता, कि जो बात मुझे बताने लगे हो, वो सच है या झूठ।
सोक्रेटस का मित्र थोड़ा मायूस हो गया। सोक्रेटस ने आगे कहा,
“खैर, तुम अभी भी मेरा यह ‘त्रिगुण फ़िल्टर’ परीक्षण पास कर सकते हो। क्योंकि एक आखरी परिक्षण बचा है। तो बताओ, तुम मुझे हमारे दोस्त के बारे में जो बताने जा रहे हो, क्या वो मेरे लिए उपयोगी होगा?”
मित्र ने कहा, “नहीं, उपयोगी तो शायद नहीं होगा।”
सोक्रेटस ने कहा, “तो जनाब, अगर वह जो आप मुझे बताना चाहते हैं, ना सच है, ना अच्छा है, और न ही उपयोगी है, तो फिर वो बात आप मुझे ना ही बताएं तो अच्छा है।
उनका मित्र उनका मुँह देखता रह गया।
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Motivational Kahani In Hindi # 4
खुशियों का पीछा मत करो
किसी गाँव में एक बुजुर्ग व्यक्ति रहता था। सारा गाँव उस से दूर भागता था, क्योंकि वो हमेशा उदास रहता था। किसी ना किसी बात को ले कर हमेशा शिकायत करता रहता था। वो इतना खिज्जा रहता था कि बात बात पर गुस्सा हो जाया करता था और फिर बुरा भला बोलने लगता था।
उस से भी बुरा तो यह था कि जैसे जैसे दिन बीत रहे थे, वो और भी चिड़चिड़ा होता जा रहा था। और उसकी ज़ुबान और भी कड़वी होती जा रही थी। लोग उसे देखते ही अपना रास्ता बदल लिया करते थे। क्योंकि लोग उसे मनहूस समझने लगे थे। गाँव में यह बात आम थी कि वो बुजुर्ग व्यक्ति जिस किसी को भी सुबह सुबह नज़र आ जाए, उसका सारा दिन खराब होना तय है।
लेकिन एक दिन, जब उसका अस्सीवां जन्मदिन था। एक अविश्वसनीय घटना हुई। किसी ने आ कर गाँव में बताया कि वो बुजुर्ग व्यक्ति आज खुश है। ना वो किसी बात कि शिकायत कर रहा है और ना ही किसी को कुछ बुरा भला बोल रहा है। उसका तो चेहरा भी आज एक दम तरोताज़ा दिख रहा है।
सुन कर किसी को विश्वास ना हुआ। सच्चाई जानने के लिए सारा गाँव उस बुजुर्ग व्यक्ति के घर के पास सामने इकठा हो गया। और जैसा सबने उसके बारे में सुना था, वो बुजुर्ग व्यक्ति एक दम वैसा ही मुस्कुराता हुआ और तरोताज़ा नज़र आ रहा था।
फिर किसी गाँव वाले ने उस से पूछा, “क्या हुआ तुम्हे आज?”
उस बुजुर्ग व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा, “कुछ ख़ास नहीं।”
फिर किसी दूसरे ने कहा, “पर हमने तुम्हे पहले कभी इतना खुश कभी नहीं देखा।”
वो बुजुर्ग हसने लगा और बोला, “हाँ, सही कहा तुमने, मैं आज सच में बहुत खुश हूँ। क्योंकि आज मेरा अस्सीवां जन्म दिन है। इन अस्सी सालों में मैं हमेशा खुशियों का पीछा करता रहा। पर कभी ख़ुशी नहीं रह पाया। आज अपने अस्सीवें जनम दिन पर मैंने सुबह होते ही एक बात सोच ली, कि अब मुझे खुशियां चाहिए ही नहीं। जो मेरे पास है, अब मैं उसी का आनंद उठाना चाहता हूँ। बस तभी से मैं खुश हूँ।
और फिर मज़े से गुनगुनाता हुआ निकल गया। सबके चेहरे पर हलकी मुस्कराहट थी।
Motivational Kahani In Hindi # 5
हंसी ना आने वाला चुटकला
एक बार की बात है, किसी गाँव में एक बड़ा ही बुद्धिमान व्यक्ति रहता था। वो हर किसी को बड़ी नेक और फायदेमंद सलाह दिया करता था। इसलिए गाँव के बहुत से लोग उस से राय लेने आया करते थे।
कुछ दिन तो वो बुद्धिमान व्यक्ति उन्हें सलाहें देता रहा, लेकिन जल्दी ही उसने महसूस किया की गाँव के लोग बार बार किसी एक ही समस्या के बारे में उस से राये जानने आते हैं।
एक दिन उस बुद्धिमान व्यक्ति ने कुछ गाँव के लोगों को इकठा किया और कहा कि आज वो उन्हें चुटकले सुनाना चाहता है। गाँव के लोग खुश हो गए और उत्सुकता में उसके सामने बैठ गए।
फिर उस बुद्धिमान व्यक्ति ने उन्हें अपना चुटकला सुनाया। सुन कर सारे गाँव वाले जोर जोर से हसने लगे। कुछ पल्लों के बाद गाँव के लोगों कि हंसी रुकी, तो उस बुद्धिमान व्यक्ति ने फिर से वही चुटकला सुनाया। इस बार लोग उतना नहीं हँसे।
फिर कुछ पलों के बाद उस बुद्धिमान ने उन्हें तीसरे बार फिर से वही चुटकला सुनाया। लेकिन अब कोई नहीं हंसा या मुस्काया।
बुद्धिमान व्यक्ति मुस्कुराया और कहा, “आप बार-बार एक ही चुटकुले पर हंस नहीं सकते। तो फिर आप हमेशा अपनी एक उसी समस्या के बारे में क्यों रो रहे हैं?”
समस्या है तो है, नहीं दूर हो सकती, तो उस पर ज्यादा ध्यान केंद्रित मत करो। अच्छा सोचो और सकारात्मक सोच रखो। यही चाबी है खुशियों की। बुराई से आगे अच्छाई को रखो, ग़लत के सामने सही को रखो, ग़मो से आगे, खुशियों को रखो।
Conclusion Motivational Kahani In Hindi
इन कहानियों का एक ही मकसद है, इन्हे पढ़ने वालों को प्रेरित करना। प्रेरणा मायूसी को ख़तम करती है और आगे बढ़ने में मदद करती है। आप को हमारी यह पोस्ट “जीवन में तबदीली ला देने वाली 5 Motivational Kahani In Hindi” पढ़ कर कैसा महसूस हुआ, हमें कमेंट करके जरूर बतायें।