द रूम ऑन द रूफ सारांश और पुस्तक समीक्षा |The Room On The Roof Summary And Book Review In Hindi | Moral Story In Hindi

परिचय | Introduction

The Room On The Roof Summary And Book Review In Hindi: रस्किन बॉन्ड द्वारा लिखा गया एक बड़ा ही प्रसिद्ध नॉवल है। इस Article “The Room On The Roof Summary And Book Review In Hindi” में, हम इस कहानी के महत्वपूर्ण पहलूओं का विश्लेषण करेंगे, उसका सारांश प्रस्तुत करेंगे और उसकी समीक्षा करेंगे।

द रूम ऑन द रूफ सारांश और पुस्तक समीक्षा |The Room On The Roof Summary And Book Review In Hindi | Moral Story In Hindi

The Room On The Roof Summary And Book Review In Hindi

द रूम ऑन द रूफ विस्तृत सारांश |The Room On The Roof Summary And Book Review

रस्टी 16 साल का एक एंग्लो-इंडियन लड़का है। जिसके माता पिता की उसके बचपन में ही मृत्यु हो गयी थी। जिसके बाद वो अपने पिता के एक अंग्रेज़ दोस्त मिस्टर हैरिसन के घर में पला बड़ा है। मिस्टर हैरिसन देहरादून के एक अमीर क़स्बे देहरा में रहते हैं।

मिस्टर हैरिसन अपने आप को भारतियों से बेहतर मानते हैं, और चाहते हैं कि रस्टी भी एक शुद्ध अंग्रेज बने। इसी वजह से वह रस्टी के साथ बड़ी सख्ती से पेश आते हैं और उसे यहाँ के स्थानीय लोगों से मिलने जुलने नहीं देते। यही कारण है कि रस्टी की ज़िंदगी में ना तो कोई दोस्त था और ना ही कोई उसे कोई प्यार करने वाला। वह मिस्टर हैरिसन के घर में बहुत अकेला महसूस करता था।

रस्टी की सोच अपने अभिभावक मिस्टर हैरिसन से बिलकुल अलग थी। उसे यहाँ के लोग बड़े अच्छे लगते थे। यहाँ के बाज़ारों की चहल पहल उसे अपनी और खींचती थी। लेकिन मिस्टर हैरिसन की पिटाई के डर से रस्टी कभी भी बाजार की तरफ नहीं गया था।

एक दिन रस्टी मिस्टर हैरिसन की ग़ैरहाज़री में भारतीय इलाके की और घूमने निकल गया। तभी बारिश होने लगी। उसे अपने घर जाने की जल्दी नहीं थी, क्योंकि घर का अकेलापन उसे अच्छा नहीं लगता था। वह धीरे धीरे अपने घर की और बढ़ रहा था। रास्ते में उसकी मुलाकात दो स्थानीय लड़के सोमी और रनवीर से होती है। जो अपने साइकिल पर रस्टी को उसके घर छोड़ने जाते हैं। जाते समय रस्ते में यह तीनों बड़ी मस्ती करते हैं, जो रस्टी को बड़ी अच्छी लगती है।

सोमी और रनवीर रस्टी के दोस्त बन जाते हैं। वो रस्टी को वहां के बाज़ार में घुमाते हैं, उसे चाट की दूकान पर भी ले जाते हैं। जहाँ रस्टी जीवन में पहली बार चाट, गोलगप्पे और टिक्की खाता है। जो उसे बड़े अच्छे लगते हैं। अगले दिन होली थी। सोमी रस्टी को होली खेलने के लिए भी आमंत्रित करता है। और रनवीर उस से कहता है कि वो सुबह उसे लेने आएगा और घर के पास ही ढोलक बजायेगा। ढोलक की आवाज़ सुनते ही तुम घर से निकल आना।

उन से मिलने के बाद जैसे ही रस्टी घर पहुँचता है तो देखता है की सामने मिस्टर हैरिसन हाथ में डंडा लिए पहले से उसका ही इंतज़ार कर रहे थे। उस दिन मिस्टर हैरिसन डंडे से उसे काफी पीटते हैं। जिसके बाद रस्टी देर रात तक अपने कमरे में पड़ा रोता रहा। और रोते रोते ही उसकी आँख लग गयी थी।

अगले दिन सुबह ढोल की आवाज़ से उसकी नींद खुलती है। रस्टी समझ गया कि रनवीर उसे होली के लिए बुला रहा है। वो जाना भी चाहता था, पर साथ ही उसे मिस्टर हैरिसन का डर भी सता रहा था। ढोल लगातार बज रहा था। रस्टी को डर था कि कहीं मिस्टर हैरिसन ढोल की आवाज़ सुन कर सच ना जान लें। आखिर रस्टी ने बाहर जाने का मन बना लिया और वो चुपचाप अपने कमरे के पीछे वाली खिड़की से कूद कर सोमी और रनवीर के साथ होली खेलने के लिए निकल जाता है।

वो सोमी और रनवीर के साथ भारतीय इलाके में पहुँचता है, जहाँ बहुत से स्थानीय लोग इकट्ठे हो कर होली खेल रहे थे। और खूब मस्ती कर रहे थे। देख कर रस्टी को बड़ा अच्छा लगता है और वो भी अपने दोस्तों के साथ मिलकर होली खेलने लगता है। वो देर शाम तक होली खेलता रहा। इतनी मस्ती रस्टी ने आज से पहले कभी नहीं की थी।

शाम को जब रस्टी होली खेल कर घर वापिस आया तो उसे रंगों में सना हुआ देख कर मिस्टर हैरिसन गुस्से से लाल हो गए। उन्होंने रस्टी को गुस्से में धक्का दे दिया। जिस से रस्टी संभल नहीं पाया और पीछे की और गिर पड़ा। गिरते हुए उसका सर पीछे पड़े टेबल से टकराता है और उसके सर से खून निकल आता है। इस बार रस्टी से सहा ना गया और वो मिस्टर हैरिसन को धक्का दे कर, उनके घर से भाग निकलता है।

रस्टी घर से तो भाग आया था, पर उसके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं था। वो देर रात तक भारतीय इलाके में घूमता रहा। रात में बारिश भी आ गयी थी, पर रस्टी के पास जाने के कोई जगह नहीं थी। अगले दिन सुबह उसके दोस्त सोमी ने रस्टी को मैदान में सोते देखा तो वो उसे अपने घर ले आया। जहाँ रस्टी सोमी को सारी बात बताता है। तो सोमी उसकी मदद करने का वादा करता है और उसे पहनने के लिए अपने कपड़े भी देता है।

सोमी का एक दोस्त था, किशन कपूर, जो एक अमीर व्यक्ति मिस्टर कपूर का बेटा था। मिस्टर कपूर वाइन के कारोबारी थे, जिसमे उन्होंने बहुत से पैसे कमाए थे। लेकिन अब उनका यह कारोबार बंद हो चूका था और वह अपनी जमा पूंजी पर ही जी रहे थे। मिस्टर कपूर हमेशा ही नशे में रहते थे। घर की देखभाल उनकी पत्नी मीना ही करती थी। मीना बहुत सुन्दर और जवान थी।

किशन को अंग्रेजी के शिक्षक की जरूरत थी, इसीलिए सोमी रस्टी को उनके घर ले कर आया था। रस्टी एंग्लो इंडियन था और अंग्रेजी स्कूल में पढ़ा था। इसलिए उसकी अंग्रेजी बड़ी अच्छी थी। फिर क्या था, मिस्टर कपूर ने रस्टी को अपने बेटे किशन को पढ़ाने के लिए रख लिया। और रस्टी को रहने के लिए अपने घर की छत पर एक कमरा भी दे दिया।

कमरा बड़ा छोटा था। पर रस्टी यहाँ रहकर बड़ा खुश था। क्योंकि वह यहां पर अकेला महसूस नहीं कर रहा था। किशन भी उसका साथ पा कर खुश था। फिर क्या था, रस्टी सुबह से दोपहर तक किशन को अंग्रेजी सिखाता और फिर अपने कमरे में आराम करता, कैरम खेलता और शाम को सोमी और रनवीर के बाज़ार में घूमने और चाट खाने चला जाता।

अब हुआ यूँ कि किशन को पढ़ाते पढ़ाते रस्टी और मीना में नज़दीकियां बढ़ने लगी। और धीरे धीरे दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे। ऐसे ही समय बीतता गया। मिस्टर कपूर हमेशा नशे में रहते और दूसरी ओर रस्टी और मीना ज्यादा से ज्यादा समय एक दूसरे के साथ बिताने लगे।

सब कुछ अच्छा चल रहा था। लेकिन एक दिन सोमी ओर रनवीर अपनी आगे की पढ़ाई के लिए मसूरी चले जाते हैं ओर इधर मिस्टर कपूर की सारी जमा पूँजी भी ख़तम हो जाती ओर वो मीना के साथ काम कि तलाश में दिल्ली चले जाते हैं। जहाँ रस्ते में उनकी कार का एक्सीडेंट हो जाता है, जिसमे मीना मारी जाती है। ये खबर सुन कर रस्टी ओर किशन को काफी दुःख पहुँचता है। अब किशन को हरिद्वार में उसकी मौसी के पास रहने जाना पड़ेगा। किशन रस्टी से दूर नहीं जाना चाहता था। लेकिन यहां वह अकेला भी नहीं रह सकता था।

रस्टी को अपने दोस्तों के दूर चले जाने का दुःख तो था ही, पर इस से भी बड़ा दुःख उसे मीना के चले जाने का था, जिसे वो बहुत चाहने लगा था। अब रस्टी अपने उस छत वाले कमरे में सारा सारा दिन मीना की यादों में निकालने लगा। इस बार उस से अपना यह अकेलापन सहा नहीं जा रहा था। फिर एक दिन उसने सब कुछ छोड़ छाड़ कर इंग्लैंड जाने का मन बना लिया। लेकिन किशन से उसका इतना ज्यादा लगाव हो चूका था की जाने से पहले वो आखरी बार हरिद्वार जा कर किशन से मिलना चाहता था।

रस्टी हरिद्वार पहुंच जाता है। लेकिन वहां पहुंच कर पता चलता है की किशन की मौसी अब वहां नहीं रहती। बल्कि वहां पर मिस्टर कपूर अपनी दूसरी बीवी के साथ रहते हैं। यह देखकर रस्टी को बहुत गुस्सा आया। उसने सोचा कि अभी मीना को गुज़रे एक महीना भी नहीं बीता है और मिस्टर कपूर दूसरी शादी भी कर ली। कितने बुरे इंसान हैं यह मिस्टर कपूर।

खैर किशन के बारे में पूछने पर मिस्टर कपूर ने रस्टी को बताया कि किशन घर से भाग गया है और यहीं हरिद्वार में ही कहीं रहता है। वो चोरी चकारी करने लगा है, इसी वजह से पुलिस भी उसके पीछे पड़ी हुई है। सुन कर रस्टी को ओर भी बुरा लगा। वह बाज़ार में किशन को ढूंढने के लिए निकल पड़ता है।

काफी ढूंढने के बाद रस्टी को एक गली में किशन मिल जाता है। जहाँ रस्टी किशन को बताता है कि वह देहरादून में बहुत अकेला महसूस कर रहा था। इसलिए अब वहां नहीं रहना चाहता है और वह इंग्लैंड वापस जा रहा है। किशन रस्टी से कहता है कि वह इंग्लैंड से नहीं बल्कि इंडिया से ही सम्बन्ध रखता है। उसे इंग्लैंड नहीं बल्कि वापिस देहरादून चले जाना चाहिए। उसकी बात सुन कर रस्टी को किशन के घर कि छत पर बने अपने कमरे कि याद आ गयी। जहाँ उसके जीवन के खूबसूरत दिन बीते थे।

फिर वह किशन से भी चोरी चकारी छोड़ कर अपने साथ देहरादून चल कर रहने कि बात कहता है। क्योंकि उन् दोनों कि असली जिंदगी देहरादून में ही थी। फिर क्या था, दोनों रात में पुलिस से छुपते छुपाते हरिद्वार से निकल देहरादून की तरफ चल पड़ते हैं छत पर बने उस कमरे में रहने के लिए। जहाँ आ कर किशन घर के पास ही चाट की दुकान लगा लेता है और रस्टी मुहल्ले के लड़कों को इंग्लिश पढ़ाने का काम करने लगता है।

द रूम ऑन द रूफ संक्षिप्त सारांश | The Room On The Roof Summary And Book Review

यह कहानी 16 साल का एक अनाथ एंग्लो-इंडियन लड़के रस्टी की है। जो अपने माता पिता की मृत्यु के बाद से ही उनके एक अँगरेज़ दोस्त मिस्टर हैरिसन के साथ देहरादून के एक अमीर कसबे देहरा में रहता है। मिस्टर हैरिसन चाहते हैं की रस्टी भारतीय बच्चों से दूर रहे, ताकि उसका पालन-पोषण अँगरेज़ बच्चों की तरह हो सके।

पर एक दिन रस्टी की दोस्ती दो भारतीय बच्चों, सोमी और रणवीर से हो जाती है। जिनके साथ रस्टी भारतीय इलाकों और बाज़ारों में घूमने फिरने लगता है और उनके साथ होली भी खेलता है। यह बात मिस्टर हैरिसन को अच्छी नहीं लगती और वो रस्टी की पिटाई कर देते हैं। गुस्से में रस्टी मिस्टर हैरिसन के साथ बगावत करके, उनका घर छोड़ कर सोमी और रनवीर के पास भारतीय इलाकों की और भाग जाता है।

सोमी की मदद से रस्टी को वाइन के एक अमीर कारोबारी मिस्टर कपूर के घर, उनके बच्चे किशन कपूर को अंग्रेजी पढ़ाने की नौकरी मिल जाती है। मिस्टर कपूर का कारोबार अब बंद हो चूका था और उनका घर उनकी जमापूंजी पर चल रहा था, जिसकी वजह से मिस्टर कपूर रस्टी के सामने तनखाह की जगह अपने घर की छत पर एक कमरा और भोजन देने की पेशकश रखते हैं, जिसे रस्टी ख़ुशी ख़ुशी मान लेता है।

किशन को पढ़ाते पढ़ाते रस्टी और मिस्टर कपूर की जवान बीवी मीना कपूर में नज़दीकियां बढ़ने लगती हैं और धीरे धीरे दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आ जाते हैं। पर यह नज़दीकियां ज्यादा दिन तक बनी ना रहीं। कुछ ही दिनों में मिस्टर कपूर की सारी जमा पूँजी खर्च हो जाती है, जिसकी वजह से वो मीना के साथ किसी नए काम की तलाश में दिल्ली चले जाते हैं। जहाँ रस्ते में उनकी कार का एक्सीडेंट हो जाता है, जिसमे मीना की मौत हो जाती है।

ये खबर सुन कर रस्टी ओर किशन को काफी दुःख पहुँचता है। और कुछ ही दिनों में किशन को हरिद्वार अपने मौसी के घर रहने जाना पड़ता है। अब रस्टी अपने उस छत वाले कमरे में सारा सारा दिन मीना की यादों में निकालने लगा। फिर एक दिन रस्टी सब कुछ छोड़ छाड़ कर इंग्लैंड जाने का मन बना लेता है। पर जाने से पहले वो एक आखरी बार किशन से मिलना चाहता था।

पर हरिद्वार जा कर रस्टी को पता चलता है कि किशन की मौसी वहां नहीं रहती। बल्कि वहां पर मिस्टर कपूर अपनी दूसरी बीवी के साथ रहते हैं। यह देखकर रस्टी को बहुत गुस्सा आता है। उसने सोचा कि अभी मीना को गुज़रे एक महीना भी नहीं बीता है और मिस्टर कपूर दूसरी शादी भी कर ली। किशन के बारे में पूछने पर मिस्टर कपूर ने रस्टी को बताया कि किशन घर से भाग गया है और यहीं हरिद्वार में ही कहीं चोर चकारी करके ज़िंदगी गुज़ार रहा है। सुन कर रस्टी को ओर भी बुरा लगता है। वह हरिद्वार में किशन को ढूंढने के लिए निकल पड़ता है।

आखिर एक दिन रस्टी किशन को ढूंढ ही लेता है। किशन उसे इंग्लैंड जाने से रोकता है तो रस्टी उसे अपने साथ देहरादून चलने के लिए कहता है। दोनों ख़ुशी ख़ुशी एक दूसरे की बात मान लेते हैं और देहरादून आ कर उसी छत वाले कमरे में रहने लगते हैं। किशन घर के पास ही चाट की दुकान लगा लेता है और रस्टी मुहल्ले के लड़कों को इंग्लिश पढ़ाने का काम करने लगता है।

द रूम ऑन द रूफ संक्षिप्त समीक्षा |The Room On The Roof Summary And Book Review

रूम ऑन द रूफ रस्किन बोंड द्वारा लिखा गया एक उत्कृष्ट उपन्यास है। जो पहली बार 1957 में प्रकाशित हुआ था। और तभी से इस नॉवल को देश विदेश में बड़ा सराहा जाता रहा है। इस नावल को रस्किन बोंड की आधी अधूरी आत्मकथा भी कहा जाता है।

इस नॉवल को रस्किन बोंड का बेहतरीन साहित्यिक काम कहा जाता है, और हैरानी की बात यह है कि यह नॉवल रस्किन बोंड ने केवल 17 साल की उम्र में लिखा था।

उनके लेखन की सबसे खूबसूरत बात यह है कि उनकी कहानियां बड़ी सरल, लेकिन फिर भी बड़ी ही रोमांचक होती हैं। इनमें एक ऐसा आकर्षण और खींचाव है कि बच्चों से लेकर बुढ़ों तक, सभी इनकी कहानियों में खो जाते हैं।

यह कहानी आज़ादी के एक दम बाद लिखी गई थी, जब अंग्रेज भारत को छोड़ कर अपने देश लौट गए थे। लेकिन फिर भी बहुत से अंग्रेज लोग हमारे देश में ही बस गए थे। यह कहानी सबसे पहले भारतीयों के प्रति अंग्रेजों की मानसिकता को दर्शाती है, कि कैसे वे अपने आप को भारतीयों से बेहतर समझते थे। कहानी में मिस्टर हैरिसन का चरित्र उनकी इस सोच को उजागर करता है।

यह कहानी कई मायनों में हमें काफी कुछ सिखाती है। कहानी एक किशोर (Teenager) लड़के रस्टी के जीवन पर आधारित है। जिसमें बचपन के भोलेपन, लड़कपन, उनकी मानसिक प्रक्रिया का चित्रण बड़े शानदार और बड़े ही रीयलिस्टिक तरीके से किया गया है। कहानी में बताया गया है कि जब बच्चे जीवन की कठिन वास्तविकता का सामना करते हैं तो उनकी मानसिकता और मनोदशा पर इसका क्या असर पड़ता है।

दोस्ती इस कहानी का बड़ा ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। रस्टी की जिंदगी में बहुत सारी चीजें इसलिए संभव हो पाई, क्योंकि उसके दोस्तों ने उनकी बड़ी मदद की।

अंत में इतना ही कहेंगे कि यह कहानी प्यार, मित्रता, किशोर अवस्था की मानसिकता आदि के बारे में बड़े ही खूबसूरत तरीके से समझाती है।

The Room On The Roof Summary And Book Review In Hindi

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FAQs | The Room On The Roof Summary And Book Review In Hindi

What is the theme of The Room on the Roof?

“The Room On The Roof” रस्किन बांड द्वारा लिखा उपन्यास है, जिसका विषय, इस उपन्यास के मुख्या किरदार रस्टी के विचारों और जीवन के परिवर्तन की कथा है। कहानी में रस्टी अपने जीवन में अकेलापन और निरस्त महसूस करता है। लेकिन “The Room On The Roof” उसके जीवन में एक नयी दिशा और एक नयी उम्मीद ले कर आता है। इस उपन्यास में सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों की खोज भी है। जहाँ पर परिवार, दोस्ती और व्यक्तित्व विकास पर ध्यान दिया गया है। रस्किन बांड ने उपन्यास में युवाओं के मन की गहराईयों और उनके सामाजिक विकास को प्रस्तुत किया है।

Is Room on the Roof Based on a true story?

हालाँकि रस्किन बांड ने कभी भी इसकी पुष्टि नहीं की है, लेकिन ज्यादातर लोगों का यह मानना है की इस उपन्यास “The Room On The Roof” की कहानी स्वयं रस्किन बांड के जीवन पर आधारित है। इसलिए लिए ज्यादातर पाठक इस नावेल को रस्किन बांड की “Semi-Autobiography” भी कहते हैं।

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