रूही की भावुक कहानी | Ruhi’s Sad And Emotional Story In Hindi

Ruhi's Sad And Emotional Story In Hindi
Ruhi’s Sad And Emotional Story In Hindi | Image Pixabay

Emotional Story In Hindi : रूही का जन्म एक बड़े ही साधारण घर में हुआ था। उसके माता पिता ने बड़े प्यार से उसका नाम “रूही” रखा था। रूही बड़ी ही शांत बच्ची थी। हमेशा खुश रहती थी। उसकी माँ के आलिंगन से उसकी सुबह होती थी और पिता की गोद में खेलते हुए सो जाने के साथ उसकी रात होती थी।

सब कुछ बड़ा अच्छा चल रहा था। चिंता करने वाली कोई बात ही नहीं थी। पर अचानक उसके पिता बीमार रहने लगे। और कुछ ही दिनों में उनकी मृत्यु हो गयी। रूही नवजात थी। स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ सकती थी। वो अक्सर घर के दरवाज़े की और उम्मीद से देखती रहती, कि अभी उसके पिता आएंगे और उसे गोद में ले लेंगे। वो उन्हें देखना चाहती थी, उनकी गोद में सोना चाहती थी। पर वो कभी ना आते।

यूँ ही दिन बीतने लगे। अब जूही को प्राइमरी स्कूल में दाखिला दिलवा दिया गया। अपनी उम्र के बहुत सारे बच्चों को देख कर जूही की ज़िंदगी में एक नया रोमांच आ गया। और कुछ ही दिनों में उसकी एक बेस्ट फ्रेंड भी बन गयी। रूही उसी के साथ टेबल पर बैठती, उसी के साथ अपना लंच करती और उसी के साथ खेलती। जूही इसमें बड़ी खुश थी और अपने पिता को खोने का ग़म शायद भूल चुकी थी।

पर सब कुछ वैसे ही नहीं चलता रहा, जैसे चल रहा था। फिर से उसकी ज़िंदगी में बुरे समय ने दस्तक दी। एक दिन अचानक उनकी पड़ोस वाली आंटी उसे स्कूल से लेने आ गयी। रूही हैरान थी कि माँ क्यों नहीं आयी? फिर उसे बताया गया कि उसकी माँ एक सड़क हादसे में मारी गयी। मर जाने का अर्थ अभी उस मासूम बच्ची को नहीं पता था। पर वो इतना तो जान गयी थी कि उसके पिता कि तरह उसकी माँ भी अब कभी वापिस नहीं आएगी। वो रोइ… चिल्लाई… उसे उसकी माँ के पास रहना था, उसे अपनी माँ के पास रहना था। पर उसके इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं था।

रूही सारी दुनिया में अकेली हो गयी। रूही का सब कुछ छूट गया। उसका घर, उसका शहर, उसका स्कूल, उसकी बेस्ट फ्रेंड और उसकी माँ। सब पीछे रह गए और उसे अपनी माँ के दूर के रिश्तेदारों के घर जा कर रहना पड़ा। रूही चुप थी, पर उसकी यादों में उसकी माँ और उसकी बेस्ट फ्रेंड हमेशा रहते।

यूँ ही दो महीने बीत गए। रूही अब थोड़ा थोड़ा संभल चुकी थी। पर एक दिन अचानक उसके रिश्तेदारों ने उसे बताया कि उसे नए घर जाना पड़ेगा। अब तुम्हे वहीँ रहना है। रूही एक दम बेबस थी। जो उस से कहा गया वो मान गयी। और चुपचाप अपना बैग और गुड़िया उठा कर नए घर के लिए चल पड़ी।

नए घर में रूही का बड़े अच्छे से स्वागत हुआ। उसकी माँ कि उम्र की औरत ने उसे अपने गले से लगाया और कहा कि हम तुम्हारे नए मम्मी पापा हैं। यह तुम्हारा घर है और वो तुम्हारा कमरा है। सुन कर रूही के मन में इक नयी उम्मीद जाग गयी। उसे लगा अब उसके साथ अच्छा ही होगा। ओर उसने अपनी इस नयी वास्तविकता के साथ अपने आप को ढालना शुरू कर दिया।

यूँ ही उसका बचपन कब बीत गया, रूही को पता ही ना चला। वो इतनी जल्दी बड़ी हुई कि बचपन के खूबसूरत पलों को जी ही नहीं पायी। पर अब सब कुछ ठीक ही चल रहा था। पर जैसे ही कुछ ठीक होने लगता है। वैसे ही रूही की ज़िंदगी में कोई बड़ा बदलाव हो जाता है।

हालाँकि उसके दोनों नए माता पिता उसे बड़ा प्यार करते थे। पर उन का आपस में प्यार ख़तम हो चूका था। दोनों के कमरे से रात को चीखने चिल्लाने और उसकी माँ के रोने कि आवाज़ें आतीं। रूही को कुछ समझ नहीं आया कि ऐसा क्यों है। वो चुप थी। पर एक दिन अचानक रूही कि नयी माँ उसे ले कर किसी दूसरे शहर आ गयी। और एक बार फिर से रूही को अपने पिता से बिछुड़ना पढ़ गया। उस बेचारी को फिर से समझ नहीं आया कि ऐसा क्यों हुआ।

अब रूही को फिर से नए स्कूल में जाना पड़ा और नए सहपाठियों के साथ रहना पड़ा। रूही को लगा शायद ऐसे ही होता होगा। वो फिर से हालातों के साथ जीने लगी। हाँ एक बदलाव उसमे यहाँ तक आ चूका था। उसे लगने लगा था कि कोई भी ख़ुशी ज्यादा देर तक रहती नहीं है।

ऐसे ही रूही ने हाई स्कूल पास कर लिया और उसकी ज़िंदगी आगे बढ़ने लगी। कॉलेज में गयी तो उसकी मुलकात एक ऐसे लड़के से हुई, जिस से उससे प्यार हो गया। इस रिश्ते को पाकर रूही काफी सालों बाद इतनी खुश रहने लगी थी। उसे लगा कि अब सब ठीक ही होगा। जितना उसने सहा है, अब उतनी ही खुशियां होंगी।

पर कॉलेज ख़तम होने से पहले ही उसकी नयी माँ का भी देहांत हो गया। अब रूही फिर से अकेली हो गयी थी। जिस से उससे प्यार था, उस लड़के ने जल्दी ही उस से शादी करने वादा किया। अब कॉलेज छोड़ जूही को नौकरी कि तलाश करनी पढ़ी। कोई बड़ी पढ़ाई उसने की नहीं थी। इसलिए कोई बड़ी नौकरी उसे ना मिली।

फिर उसने छोटी छोटी कई नौकरियां की। पर उसकी कोई नौकरी भी ज्यादा देर तक सलामत ना रही। फिर किसी के साथ मिलकर कोई कारोबार शुरू किया। जो शुरू में तो अच्छा चला, पर जल्दी ही उस कारोबार में उन्हें नुक्सान होने लगा। और ऐसा देख उसका साथी उसे अकेली को छोड़ कर भाग गया और सारे का सारा कर्ज़ा रूही के सर आ गया।

रूही चुप थी। उसने फिर से नौकरी की तलाश शुरू कर दी। एक दिन अचानक बाजार में उसकी मुलकात एक लड़की से हुई। जिसे उसने देखते ही पहचान लिया था। यह और कोई नहीं बल्कि उसके बचपन वाली बेस्ट फ्रेंड थी। जिसे शायद वो कभी ना भूल सकी थी।

दोनों ने खूब बातें की। रूही ने उससे अपनी सारी कहानी बतायी। दोनों की आँखों में कई बार आसु आये। आखिर में उसकी बेस्ट फ्रेंड ने उस से पूछा की उसका प्यार? वो कहाँ है। रूही ने बताया की वो भी दूसरे शहर चला गया है। उसे मेरे साथ नहीं रहना था। यह कह कर रूही वहां से चली गयी।

ज़िंदगी उसके बाद भी चलती रही होगी। मुश्किलें भी आती रही होंगी। यही तो ज़िंदगी है। जिसे जीना पड़ता है।

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